संपूर्ण विश्व में प्रचलित ८० से ९० प्रतिशत व्यवसाय, पारिवारिक-अधिकार व्यवसाय है। यह गैर सरकारी उद्यम का प्रमुख रूप है और विश्व में उत्पन्न की जानेवाली सम्पत्ति का अधिकांश हिस्सा निर्माण करते है।
वस्तुतः, कई लोग ऐसे मानते है कि पारिवारिक व्यवसाय केवल आशियाई संस्कृति में ही होते है, लेकिन विकसित राष्ट्र में भी प्रचलित है। उदाहरण: अमरिका के यह व्यवसायों में ७० प्रतिशत , सकल देशी उत्पादन (ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रॉडक्ट) में ५० प्रतिशतऔर मजदूर श्रम –शक्ति (लेबर फ़ोर्स) में ५० प्रतिशत होता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि फ़ॉर्च्युन कंपनी की ५०० कंपनीयों में ३५ प्रतिशत पारिवारिक व्यवसाय कंपनियाँ है। इस प्रकार यह व्यवसाय किस तरह चलाएँ जाते है यह समझकर हम नीतिविषयक सोचविचार के विभिन्न पाठ प्राप्त कर सकते है। हाल में हमने, बँकॉक में, आशियाई मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की एक सभा में पारिवारिक व्यवसाय की कार्यनीति के प्रश्न पर प्रदर्शन किया। इस के उप-वक्ता, "जनरेशन टू जनरेशन :लाइफ सायकल्स ऑफ दी फॅमिली बिझिनेस" इस पुस्तक के लेखक केलिन गेर्सिक थे। अपने पुस्तक तथा प्रदर्शन में उन्होंने, दीर्घ काल चलनेवाले पारिवारिक व्यवसाय के यशस्वी अनुशासन के नाजूक रूप से महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार-विमर्श किया है। मि. गेर्सिक के अनुसार, पारिवारिक व्यवसाय, अपने विशिष्ट अभिलक्षण कि वजह से असाधारण होते है। पारिवारिक सपनों के मूल्यों पर यह व्यवसाय चलाएँ जाते है। परिवार में कोई एक स्त्री अथवा पुरूष होता है , जो अपनी रचाई सुस्पष्ट व्यवसाय संकल्पना पूर्ण होते देखना चाहता है। इन व्यक्तियों के कार्य की सीमाएँ विस्तृत होती और वह हमेशा दीर्घकालिक सोचते है। इन सदस्यों में हमेशा उच्च विश्वास और वचनबध्दता होती है, क्योंकि, वह जानते है कि वह क्या निर्माण करने का प्रयास कर रहे है। पारिवारिक व्यवसाय यह एक जटिल पध्दति है क्योंकि इस पध्दती में रूची रखने वाले कई समूह इसमें शामिल होते है। जो व्यवसाय ग्रहण करने की दिशा पर अपना अधिकार पाना चाहते है, लेकिन यह करते समय अक्सर अर्थशास्त्रीय परिणामों पर बिल्कुल ध्यान नही देते। इन व्यवसायों में कभी कभी परस्पर विरोधी मानक बन जाते है। लेकिन व्यवसाय की अविरत सफलता के लिये इनका मेल कराना आवश्यक होता है। उदाहरण: परंपरा के खिलाफ़ बदलाव, उनकी वंशपरंपरागत संपत्ती का हिस्सा, विरूध्द अखण्ड उद्यमवृत्ति की आवश्यकता, उनकी दृढ़ मान्यताएँ विरूध्द कृति, और आखिर में पारिवारिक व्यवसाय जो निकटता प्राप्त करता है विरुध्द उनकी कार्यवाही पर सामान्य लोगों का दृष्टिकोन इन में मेल लाने का प्रयास वे करतें हैं।
सफल पारिवारिक व्यवसाय, अनगिनत नएँ बदलावोंका सामना कर रहे है। उदाहरण : प्रतिस्पर्धियों के अत्याधुनिक व्यवस्थापन सहायता प्रणाली का सामना करके वह अपने आप को वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा समझते है। और नय़ी पीढी़, जिसने व्यवसाय कि कार्यवाही पर अपना अधिकार प्राप्त करना शुरू किया है, उनकी अन्तरराष्ट्रीय दृष्टी अधिक परिपक्व तथा विकसित है।
इस व्यवसाय पर अब, कुटुम्ब की महिलाओं की बदलती भूमिका का असर होने लगा है। यह महिलाएँ सुशिक्षित होकर व्यवसाय व्यवस्थापन की क्षमता भी रखती है। महिलाओं की भूमिका में पाया गया यह बदलाव अक्सर पारंपारिक प्रतिमा से भिन्न होता है। इन परिवारों को निजी स्वामित्व की राजनीति तथा उत्तराधिकार नियम की कार्यवाही का सामना भी करना पडता है।
कुटुम्ब नियंत्रण और व्यावसायिक व्यवस्थापन के बीच असंतुलन होता है यह धारणा मि. गेर्सिक को मान्य नही। मि. गेर्सिक यह मानतें है कि मार्गदर्शक के नयी पीढ़ी ने वह जिस प्रणाली में शामिल है, उस प्रणाली के पारिवारिक गतिविधियों के हर पहलू पर पहले से सोच विचार करके उसका प्रबन्ध करना चाहिये।
इसके बाद पारिवारिक-अधिकार व्यवसाय की भविष्य में सफलता के विषय में और क्या प्रश्न हो सकते है जिन्हे निश्चित करना आवश्यक है?
मि. गेर्सिक यह विषय तीन अलग अलग दृष्टिकोन से देखते है: व्यवसाय का स्वामित्व, परिवार, और व्यवसाय की कार्यवाही।
व्यवसाय स्वामित्व के विषय में स्पष्ट हस्तांतरण योजना आवश्यक है , जिससे व्यवसाय अधिकार सरलता से नयी पीढ़ी के उत्तराधिकारी को सौंपा जा सके। इसके अतिरिक्त, सुस्पष्ट उत्तराधिकार योजना होनी आवश्यक है जिससे नेतृत्व कायम जारी रह सके। तथा संभाव्य स्वामित्व के प्रश्नों पर कार्यवाही करने के लिये आकस्मिक घटना योजना होनी जरुरी है।
व्यवसाय के मुद्देपर, परिवार के सदस्यों कि कार्यनीति योजना सुस्पष्ट होनी चाहिये जिसमें वह किस प्रकार के व्यवसाय कि रचना कर रहें है उसका वर्णन करना आवश्यक है। यह कार्यनीति परिवार कि मान्यताएँ तथा बाजार कि वस्तुस्थिती से अनुकूल होनी चाहिये। कई अधिकारी जो परिवार के सदस्य नही है, उनके लिये आजीविका विकास योजना होना जरूरी है।
परिवार के मुद्देपर, मि. गेर्सिक, कुटुम्ब समिती कि स्थापना करने कि सिफ़ारिश करते है। यह समिती अनुशासक कि भूमिका में कोई फेर फार न करते, उनकी कोशिशों को पारिवारिक जरूरतों को पुरा करने के लिये उपयोग में लाते है। इसके अतिरिक्त, यह समिती अन्य प्रश्नों पर कार्यवाही करती है जैसे कि, अभिव्यक्ति और पारिवारिक मान्यताओं का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरण, परिवार के सदस्यों के लिये प्रवेश और निर्गम धोरण, चल निधि आवश्यकता और लाभ, सुरक्षितता और शैक्षणिक जरूरतें तथा परोपकार।
मि. गेर्सिक का, पारिवारिक-अधिकार व्यवसाय के विषय पर किया गया अनुसंधान, रॉबर्ट क्लिमन के अध्ययन पर आधारित है। उदाहरण : वर्ष १९७६ से मार्च १९९७ तक, १४% प्रमाणित तथा ५०० कंगाल कंपनीयों कि तुलना में, अमरिका के २०९ बड़े पारिवारिक व्यवसाय के स्टॉक का वार्षिक प्रतिलाभ सालाना १६.६% था।
मि. क्लिमन का यह मानना है कि, कंपनी कि सफलता, उनकी किसी विषय के प्रति दीर्घकालीक दृष्टीकोन से प्राप्त की जाती है और वास्तव में उस कंपनी के मालिक वा प्रबंधकों की संपत्ति तथा उनका मूल्य कंपनी से बंधा हुआ होता है।
लेकिन फिर भी अगर आप इस व्यवसाय में निवेश करने कि इच्छा रखते है, तो पहले यह निश्चित किजिये कि, कंपनी के कुल अनुशासकों में ५०% अनुशासक परिवार के सदस्य न हो तथा कंपनी कि उत्तराधिकार योजना सुस्पष्ट हो।
पारिवारिक व्यवसाय में कार्य करते समय, हमारे अनुभवों को इस अध्ययन कि सहायता मिली। यह व्यवसाय कामयाब हुएँ क्योंकि, आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में, व्यवसाय कार्यवाही कि जटिलता का प्रबन्ध करते समय, वह पारिवारिक व्यवसाय के गतिविधियों की व्यवस्था करने की क्षमता भी रखते थे।
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